नई दिल्ली/टीम डिजिटल तसलीमा नसरीन, एक प्रसिद्ध लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता, कहती हैं कि इस्लामी कट्टरपंथी युवाओं को भ्रमित करके भारत, हिंदू, पाकिस्तान और जिहाद के पक्षधर बनाने में लगे हैं, जिससे उन्हें डर है कि बांग्लादेश एक बार फिर अफगानिस्तान बन जाएगा।
नसरीन ने एक साक्षात्कार में कहा, “जब छात्रों ने जुलाई में कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किये तो महिला अधिकार, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले हम सभी ने उनका समर्थन किया।” शेख हसीना ने कट्टरपंथियों का समर्थन करके लोगों को चुप रखा, इसलिए लोग उनसे नाराज थे।’
उनका कहना था कि शुरू में, वे ऐसी तानाशाह सरकार के खिलाफ आंदोलन में सही उम्मीद करते थे कि देश में लोकतांत्रिक तथा निष्पक्ष चुनाव होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 62 वर्षीय लेखिका ने कहा, “बाद में हमें समझ आया कि यह छात्रों का आंदोलन था ही नहीं।” इस्लामी कट्टरपंथियों ने योजना बनाई और धन खर्च किया। जब उन्होंने संग्रहालयों, राष्ट्रीय धरोहरों और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं को मिटाना शुरू किया, तो उन्हें यह समझ में आया।’
उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर हमले हुए जब जेल में बंद आतंकवादियों को छोड़ दिया गया, तब प्रदर्शनकारियों का असली उद्देश्य और चेहरा सामने आया। 1994 में, तसलीमा नसरीन को उनकी किताबों को लेकर हुए विवादों के कारण बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। ‘लज्जा’ की लेखिका 2005 से (2008 से 2010 को छोड़कर) भारत में निर्वासित हैं। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में मौजूदा अंतरिम सरकार की कार्यशैली से उन्हें डर है कि बांग्लादेश कहीं अगला अफगानिस्तान नहीं बन जाएगा।
तसलीमा कहती है कि यूनुस कहता है कि प्रदर्शनकारी जीत का जश्न मना रहे हैं, लेकिन यह कैसा जश्न है जब हिंदुओं के घर फूंके जा रहे हैं जबकि पाकिस्तानी सेना की प्रतिमायें जंग के दौरान लाखों लोगों की हत्या करने और महिलाओं से बलात्कार करने वाली हैं। “यूनुस को पता है कि देश में जिहादियों का राज होगा और उन्हें इससे कोई दिक्कत भी नहीं है,” उन्होंने कहा। ये आतंकवादी बांग्लादेश को अगला अफगानिस्तान या ईरान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो खतरनाक है।’
उनका दावा था कि यूनुस ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई या उनकी आलोचना नहीं कर रहे हैं। इसमें भविष्य की कोई उम्मीद नहीं दिखाई देती।तसलीमा नसरीन ने पूर्व प्रधानमंत्री हसीना को मौजूदा परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कट्टरपंथी अचानक नहीं उठे हैं। उसने कहा, ‘‘इसके लिये हसीना दोषी हैं जिन्होंने सत्ता में रहने के लिये कट्टरपंथियों का तुष्टिकरण किया। उन्होंने शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने के लिए 560 मॉडल मस्जिदें बनाईं और मदरसों की डिग्री को विश्वविद्यालय की डिग्री के समान बनाया।’