नई दिल्ली/टीम डिजिटल बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया जो संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य करार दिए गए सदस्यों को पेंशन मिलने से रोकेगा।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 में छह पूर्व कांग्रेस विधायकों को प्रभावित करेगा, जिन्हें फरवरी में बजट पारित करने और कटौती प्रस्तावों पर चर्चा करते समय व्हिप की अवहेलना करने और सदन में उपस्थित नहीं होने के कारण अयोग्य घोषित किया गया था।
भाजपा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह प्रतिगामी प्रभाव से लागू नहीं हो सकता और इससे राजनीतिक प्रतिशोध की बू आती है। इन छह पूर्व विधायकों में सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजेंद्र राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देवेन्द्र कुमार शामिल हैं।
भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में इन छह कांग्रेस विधायकों ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में मतदान किया था। इन सभी ने इस साल उपचुनाव में भी भाजपा के टिकट पर भाग लिया था। जिसमें सुधीर शर्मा और लखनपाल विजेताओं में शामिल हुए, लेकिन चार अन्य विजेता नहीं हो सके।
हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है जिसने ऐसा विधेयक पारित किया है जिसके तहत किसी व्यक्ति को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित करने पर अधिनियम के तहत पेंशन मिलेगा नहीं।