(SEBI) की मुखिया माधवी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग को लेकर सेबी कर्मचारियों का प्रदर्शन

Madhabi Puri SEBI

(SEBI) की मुखिया माधवी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग को लेकर सेबी कर्मचारियों का प्रदर्शन

Madhabi Puri SEBI

नई दिल्ली/टीम डिजिटल :
पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) की मुखिया माधवी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को बहुत से सेबी कर्मचारियों ने मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। मुंबई स्थित भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के कार्यालय के बाहर 200 से अधिक कर्मचारियों ने मौन प्रदर्शन किया।

सेबी की चेयरपर्सन बुच सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय इस स्थान पर हैं। प्रदर्शनकारियों में से कोई भी मीडिया से बात नहीं की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बुच से इस्तीफा देने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने बाजार नियामक से बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति को वापस लेने की भी मांग की। सेबी के प्रदर्शनकारी कर्मचारी मुख्यालय के सामने उनका प्रदर्शन करीब ९० मिनट तक चलता रहा।

वह अपने कार्यकाल के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है, जब बुच के लिए कर्मचारियों का विरोध और कई आंतरिक मुद्दे सामने आए हैं। पिछले महीने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में बुच, जो एक बैंकर से बाजार नियामक बन गई थी, पर भी गंभीर आरोप लगाए गए थे। उन पर हितों के टकराव की वजह से अदाणी समूह और इसके आसपास लगे आरोपों की जांच में देर करने का आरोप लगा। इसके बावजूद, यह सेबी कर्मचारियों की प्रतिक्रिया का पहला मामला नहीं है।

एक महीने पहले भी कुछ कर्मचारियों ने इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। अधिकारियों ने उस समय कहा कि मान्यता-प्राप्त कर्मचारी संगठनों का समर्थन नहीं है और विरोध प्रदर्शन कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है। छह अगस्त को सेबी के लगभग 500 कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर संगठन में “विषाक्त” कामकाजी वातावरण का आरोप लगाया।

उस पत्र में कर्मचारियों ने सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और चीखने-चिल्लाने के भी आरोप लगाए थे। समाचार पत्रों में इस बारे में चर्चा होने के बाद सेबी ने बुधवार को एक बयान जारी कर इन दावा को ‘गलत’ बताया। प्रबंधन की इस नीति से कर्मचारी नाराज हो गए और बृहस्पतिवार को मुख्यालय पर प्रदर्शन करने लगे। एक दिन पहले, सेबी ने कहा कि छह अगस्त, 2024 के पत्र में गैर-पेशेवर कार्य संस्कृति के बारे में किए गए दावे गलत हैं।

सेबी का कहना है कि सरकार और कुछ मीडिया संस्थाओं को यह पत्र नहीं भेजा गया था। नियामक ने कहा कि उसके वरिष्ठ अधिकारियों को कुछ बाहरी पक्षों से संदेश मिल रहे हैं जो उन्हें “मीडिया, मंत्रालय या बोर्ड में जाने” के लिए उकसा रहे हैं। उसे लगता है कि बाहरी व्यक्ति शायद अपने एजेंडा के लिए ऐसा कर रहे हैं।

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